सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

जन स्वास्थ्य घोषणा पत्र के मुख्य सूचक:


1. स्वास्थ्य के अधिकार को देश के हर व्यक्ति के लिए न्यायोचित अधिकार बनाया जाए , केंद्र और राज्य स्तर पर उपयुक्त कानून सुनिश्चित करके ।
2. एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणाली (यूनिवर्सल हेल्थ केयर) की स्थापना हो जो ना केवल स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापित करे बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को सभी स्तरों पर विस्तृत और सशक्त किया जाए । अंतरिम तंत्र के रूप में निजी प्रदाताओं को कुछ जिम्मेदारियां दी जाएं ताकि स्वास्थ्य रक्षा में वर्तमान कमियों को भरा जा सके । यह सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणाली (यूनिवर्सल हेल्थ केयर ) लोगों को पूर्ण रूप से निशुल्क और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगी, बिना किसी निजी जेब खर्च के के।
3. स्वास्थ्य प्रणाली के लिए आवश्यक बजट आवंटन, मानव संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर सुनिश्चित किया जाए :
सामान्य कराधान के जरिए वित्त पोषण से स्वास्थ्य पर सरकारी व्यय में भारी वृद्धि की जाए , जो तुरंत जीडीपी के 3.5% के बराबर हो। (यह वर्तमान दरों पर पर वार्षिक रूप से प्रति व्यक्ति ₹4000 हो, जैसा कि 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में सिफारिश की गई है ) और कुछ वर्षों में में में जीडीपी के 5% के बराबर हो। और यह स्वास्थ्य के कुल व्यय का का एक चौथाई से भी कम किया जाए। 
4.. हर व्यक्ति के लिए यह अधिकार सुनिश्चित किया जाए कि वह सभी आवश्यक औषधियों एवम जांच सेवाओं को निशुल्क किसी भी सरकारी अस्पतालों से प्राप्त कर पाए। इसकी व्यापकता दूसरे राज्यों जैसे तमिल नाडू , दिल्ली एवम राजस्थान में चल रही योजनाओं समान होंगी, जिससे लोगों को पूर्ण रूप से निशुल्क आवश्यक औषधियां एवं सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के सभी स्तरों पर मिलें।
5. आयुष्मान भारत के तहत ' प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ' या 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य रक्षा मिशन ' की योजना को त्याग दिया जाए , जो बदनाम बीमा मॉडल पर आधारित है। इसके बजाय वर्तमान सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को एक विस्तारित और मजबूत सार्व जनिक प्रणाली में समाहित किया जाए।
6. स्वास्थ्य सेवाओं का परिचालन इस प्रकार होना चाहिए कि कुछ चुनिंदा सेवाओं के लिए ही निजी स्वास्थ्य प्रदय कर्ताओं का उपयोग किया जाए ताकि सार्वजनिक प्रणाली को मजबूत किया जाए । परंतु इसकी दिशा प्रस्तावित आयुष्मान भारत कार्यक्रम की रणनीति जैसी नहीं होगी, जिसमें सार्व जणिक संसाधनों को अंधाधुंध तरीके से निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को सौंपा जा रहा है । 
7. जन स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण के सभी रूपों को रोका जाएगा और विभिन्न प्रकार के सरकारी निजी -साझेदारियों ( पब्लिक प्राइवेट पार्टनरसिप )- जो सार्वजनिक प्रणाली को कमजोर कर रही है, उसे खारिज किया जाएगा। जो संसाधन निजी संस्थाओं को मजबूत करने के लिए प्रयोग किए जा रहे हैं , उन्हें सार्वजनिक सेवाओं को बढ़ाने और स्थाई रूप से सार्वजनिक पूंजी का निर्माण करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। 
-- सार्वजनिक सेवाओं को कमजोर बनाने वाली सरकारी -निजी भागीदारी यों को समाप्त किया जाए । ऐसी योजनाओं में खर्च होने वाले पैसों को सरकारी स्वास्थ्य तंत्र के विस्तार और स्थाई सार्वजनिक सं पती के सृजन में निवेश किया जाए, जिससे इन पैसों का बेहतर उपयोग होगा। 
8. निजी मेडिकल क्षेत्र और कारपोरेट अस्पताल का नियंत्रण और राष्ट्रीय नैदानिक प्रतिष्ठान अधिनियम ( किलिनिकल 
एसटाबिलिस्मेंट एक्ट ) के द्वारा किया जाए , ताकि मरीजों के अधिकारों का अनुपालन हो सके , विभिन्न सेवाओं की दरों एवं उनकी गुणवत्ता के विनियमन हों , डाक्टरों द्वारा निदानन और रेफरल में घूसखोरी को रोकने और मरीजों की शिकायतों का निपटारा सुनिश्चित किया जाए । सभी राज्यों द्वारा राष्ट्रीय अधिनियम या राज्य विशेष अधिनियम को अपनाया जाए।
9. सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के समुदाय आधारित नियोजन - एवं निगरानी :
सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की जवाबदेही और अनुकूलता को सुनिश्चित करने के लिए सभी स्तरों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के समुदाय आधारित नियोजन -एवं निगरानी को सार्वभौमिक बनाया जाए , जिससे एक लोकतंत्रिकृत , समुदाय संचालित स्वास्थ्य प्रणाली और एक स्वास्थ्य देखभाल की रूपरेखा की तरफ कदम बढ़ाया जाए।
10. सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए पारदर्शिता अधिनियम के जरिए नियुक्ति, पदोन्नति , स्थानांतरण , वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास किए जाएं । 
11. सभी कर्मचारियों को जो ठेके (कांट्रेक्ट ) पर कार्यरत हैं जैसे कि आशा , आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका सहित सभी कर्मचारियों को नियमित किया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि उन्हें श्रम कानूनों से संरक्षण प्राप्त हो । सरकार द्वारा संचालित कालेजों में क्षमता निर्माण के लिए सभी तरह के स्वास्थ्यकर्मियों की शिक्षा और प्रशिक्षण में सार्वजनिक निवेश की वृद्धि सुनिश्चित की जाए । पर्याप्त संख्या में स्थाई पदों का सृजन कर सुप्रशासित और पर्याप्त जन स्वास्थ्य कर्मियों का बल स्थापित किया जाए। सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के सभी स्तरों के स्टाफ को पर्याप्त कौशल प्रशिक्षण , समुचित वेतन और स्थान नियोजन देने की व्यवस्था की जाए एवं कार्यस्थल में समुचित परिस्थितियां उपलब्ध हों।
12. सरकार को वैज्ञानिक रूप से जन हितैषी औषधीय नीति अपनानी होगी जिसमें औषधियों , टीकों, निदानों और मेडिकल उपकरण शामिल होंगे , इसमें निर्माण लागत पर आधारित मूल्य निर्धारण प्रणाली के जरिए सभी आवश्यक औषधियों और उनके अनुरूप पों ( एनोलोग्स) के साथ मेडिकल उपकरणों को मूल्य नियंत्रण के अन्तर्गत लाया जाएगा। सभी युक्तिसंगत हीन औषधियों और युक्तिसंगत हीन नियत खुराक औषधि सम्मिश्रर्णों ( फिक्स्ड डोज ड्रग कॉम्बिनेशन ) पर प्रतिबन्ध लगाना , अनैतिक मार्केटिंग को असरदार ढ़ंग से विनियमित और उन्मूलन करना जिसके लिए औषधीय मार्केटिंग के तौर तरीकों के बारे में समान कानू नी आचार संहिता (युनिफोर्म कोड़ फॉर फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेस) को अपनाया जाएगा ।सरकार को एक जेनेरिक औषधि नीति तैयार करनी चाहिए और जेनेरिक औषधियों की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए डाक्टरी नुस्खे में जेनेरिक नाम लिखने को अनिवार्य बनाना होगा, औषधियों तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए भारतीय पेटेंट अधिनियम में सार्वजनिक स्वास्थ्य सम्बन्धी उपायों को स्थान देना। पेटेंट के दुरूपयोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए और आवश्यक औषधियों के निर्माण के लिए स्थानीय निर्माताओं को अनिवार्य लाइसेंस दिए जाएं ।
13. कमजोर वर्गों और विशेष जरूरतों वाले समूहों के लिए स्वास्थ्य तक पहुंच में विशेष उपाय किए जाएं :
इन वर्गों की कमजोरी का कारण सामाजिक स्थिति ( जैसे महिलाएं, दलित, आदिवासी) , स्वास्थ्य स्थिति (जैसे एच आई वी से पीड़ित), पेशा( शारीरिक रूप से मैला ढोने वाले), सक्षमता, उम्र या कोई अन्य हो सकता है । सभी महिलाओं , बेघरों , सड़कों पर भटकने वाले बच्चों , विशेषकर कमजोर आदिवासी समूहों, शरणार्थियों , प्रवासी लोगों तथा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति की गारंटी दी जाए । जाति और समुदाय /धर्म -आधारित भेदभाव के सभी रूपों का उन्मूलन किया जाए। स्वास्थ्य सेवाओं या स्वास्थ्य से सम्बन्धित सार्वजनिक किसी भी सेवा या योजना तक पहुंच के लिए आधार लिंक की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए । 
14. जेंडर आधारित हिंसा को एक जन स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दा माना जाए और आवश्यकता पड़ने पर शीघ्र बचाव एवं स्वास्थ्य देखभाल, व्यापक मेडिकल देखभाल और पीड़ितों को लगातार सहायता सुनिश्चित की जाए ।
15. सभी गर्भवती और धात्री माताओं के लिए मातृत्व भत्ता सार्वभौमिक बनाया जाएगा।
16. आई. सी. डी. एस. कार्यक्रम को सार्वभौमिक बनाया जाए और इसमें तीन साल से कम उम्र के बच्चों को खास तौर से असरदार ढ़ंग से शामिल किया जाए , जिसमें कुपोषण का समुदाय आधारित प्रबन्धन और दिन में देखभाल करने की सेवाएं हों।
17. व्यवसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा पर व्यापक नीति निर्माण और अमल हो एवं असंगठित एवं कृषि क्षेत्रों में कार्यरत कर्मियों के लिए कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम (ई. एस.आई . ),1948 को विस्तारित और सशक्त किया जाए ।
18. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में संशोधित जिला कार्यक्रम और समुचित कार्यान्वयन के जरिए मानसिक स्वास्थ्य के मसलों से सम्बन्धित व्यक्तियों के व्यापक इलाज और देखभाल को सुनिश्चित किया जाए । 
19. मेडिकल बहुलता को समर्थन हो ताकि लोगों के पास गैर एलोपैथिक चिकित्सा का विकल्प उपलब्ध रहे , जिसमें घर प्रसूति सम्बन्धी सुरक्षित तरीका भी शामिल है । गैर एलोपैथिक प्रणालियों से सम्बन्धित अनुसंधान और दस्तावेजीकरण को भारी बढ़ावा दिया जाए ।
20. बहुपक्षीय और द्विपक्षीय वितपोषण एजेंसियों तथा कारपोरेट कंसलटेंसी संगठनों
( जैसे-विश्व बैंक, यू. एस. ए.आई . डी.,गेट्स फाउंडेशन , डिलोइट और मैकिंजी आदि) का सभी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति निर्माण और रणनीति विकास में हस्तक्षेप समाप्त किया जाए ।
21. नैदानिक परीक्षणों के अनुमोदन और आयोजन के लिए कड़े विनियमन पर अमल किया जाए , जिसमें निष्पक्ष और परीक्षण के उन प्रतिभागियों को समय पर प्रतिपूर्ति सुनिश्चित की जाए जो प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित होते हैं एवं परीक्षण स्थलों पर नैदानिक परीक्षणों के आयोजन पर सी. डी. एस.सी.ओ.(CDSCO) कड़ी निगरानी रखे ।
22. सभी के लिए स्वास्थ्य का अधिकार की पूर्ति की ओर बढ़ने के लिए स्वास्थ्य के सामाजिक कारकों को व्यवस्थित ढंग से संबोधित करना जिसमें खाद्य सुरक्षा , पोषण एवं स्वच्छता के साथ पर्यावरणीय प्रदूषण , तनावपूर्ण कार्य परिस्थितियों , सड़क सुरक्षा की अपेक्षा , तम्बाकू, अल्कोहल आदि जैसे व्यसंकारी पदार्थों और जेंडर आधारित हिंसा सहित अन्य प्रकार की हिंसा पर ध्यान दिया जाए। जन स्वास्थ्य के कार्यों का एकीकरण सभी स्तरों पर लोकतांत्रिक समावेशन , धर्मनिरपेक्षता , मानवता एवं क्षेत्रीय स्तर पर शांति के साथ किया जाए। 
जन स्वास्थ्य अभियान, जन स्वास्थ्य आंदोलन का भारतीय इकाई है, जो व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों पर कार्य करते हुए स्वास्थ्य और न्याय संगत विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता ओंं के रूप में स्थापित करने के लिए एक विश्वव्यापी आंदोलन है और इसमें 20 से अधिक नेटवर्क और 1000 संगठन और बड़ी संख्या में व्यक्ति भी शामिल हैं 
जन स्वास्थ्य अभियान की ओर से 
अभय शुक्ला
सरोजिनी नदिंपल्ली 
सुलक्षणा नंदी

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